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अपवर्ग
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renouncement
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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renunciation
Meanings: 12; in Dictionaries: 7
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supplying
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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provision
Meanings: 27; in Dictionaries: 11
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enlightenment
Meanings: 10; in Dictionaries: 5
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supply
Meanings: 28; in Dictionaries: 12
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nirvana
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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अपवर्गद
Meanings: 3; in Dictionaries: 2
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मोक्षदायिनी
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क्रियापवर्ग
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अपवर्जन
Meanings: 10; in Dictionaries: 3
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श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार - बना दो विमलबुद्धि भगवान ।...
श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दारके परमोपयोगी सरस पदोंसे की गयी भक्ति भगवान को परम प्रिय है।
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श्री परमार्थस्तुतिः - श्रीमान् वेङ्कटनाथार्यः क...
देवी देवतांची स्तुति केल्यास, ते प्रसन्न होऊन इच्छित फल प्राप्त होते.
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भक्ति गीत कल्पतरू - मना तूं पाही , मना तूं पा...
खास हितचिंतक व प्रेमळ भगिनींसाठी श्रीमती हरिभक्तपरायण वारूताई कागलकर कृत भजनांची " कल्पतरू " सुमनावली.
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श्री परमार्थस्तुतिः
पूजा विधी Hindu Pooja Vidhis. The rituals that can be performed during worship of Hindu Gods, Godesses. This collection might contain some of the day specific rituals.
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श्रीदत्त भजन गाथा - दु:ख
श्रीयुत विनायक वासुदेव साठे यांनी रचलेली श्रीदत्त भजन गाथा.
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अध्याय २९ वा - श्लोक १२ ते १५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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अध्याय ६३ वा - श्लोक ४१ ते ४५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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श्रीदत्त भजन गाथा - कर्माने मोक्ष मिळत नाही
श्रीयुत विनायक वासुदेव साठे यांनी रचलेली श्रीदत्त भजन गाथा.
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श्रीदत्तात्रेयकल्पः - श्रीदत्तहृदय
‘ श्रीदत्तात्रेयकल्प :’ अतिशय दुर्मिळ ग्रंथ असून याप्रमाणे श्रीदत्ताची पूजा केल्याने मानवाच्या सर्व विकृत बाधा नष्ट होतात .
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अथ श्रीदत्तहृदय प्रारंभः - श्रीगणेशाय नमः ॥ श्रीपार...
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. A Stotra is a hymn of praise, that praise aspects of Devi and Devtas.
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दत्तदयोदय १
मोरोपंत हे जरी संत नव्हते, तरी सदाचरणी, सच्छील असे ते एक विद्वान् गृहस्थाश्रमी होते.
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अध्याय २४ वा - श्लोक ३६ ते ३८
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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विनय पत्रिका - श्रीराम स्तुति ४
विनय पत्रिकामे, भगवान् श्रीराम के अनन्य भक्त तुलसीदास भगवान् की भक्तवत्सलता व दयालुता का दर्शन करा रहे हैं।
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अध्याय ७३ वा - श्लोक ५ ते १०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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अध्याय ७२ वा - श्लोक १ ते ५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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श्रीविष्णुपुराण - द्वितीय अंश - अध्याय ३
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है,वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
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अध्याय ३ रा - आरंभ
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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नवम स्कंध - अध्याय चवथा
श्री मत्स्वच्छंदानंदानी रचिलेल्या प्रसिद्ध देवी भागवतसाराचा मराठी अवतार म्हणजे प्रस्तुत ‘ श्री देवी विजय ‘ ग्रंथ होय.
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श्रीविष्णुपुराण - प्रथम अंश - अध्याय ६
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है,वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
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सुमित्रानंदन पंत - ग्राम देवता
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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श्रीवामनपुराण - अध्याय १३
श्रीवामनपुराणकी कथायें नारदजीने व्यासको, व्यासने अपने शिष्य लोमहर्षण सूतको और सूतजीने नैमिषारण्यमें शौनक आदि मुनियोंको सुनायी थी ।
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अध्याय ७९ वा - श्लोक ११ ते १५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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अध्याय ६९ वा - श्लोक ४१ ते ४५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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अध्याय ६४ वा - श्लोक २६ ते ३०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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अध्याय ६० वा - श्लोक ५१ ते ५५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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वेदस्तुति - श्लोक २
' हरिवरदा ’ ग्रंथातील वेदस्तुती भागाची ही रसाळ प्राकृत भाषेत स्वामी श्रीकृष्णदयार्णव स्वामींनी लिहीलेली टीका आहे.
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अध्याय २९ वा - श्लोक २१ ते २५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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अध्याय ३३ वा - श्लोक ३१ ते ३५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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अध्याय ६० वा - श्लोक ४१ ते ४५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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ऋध्दिपुरवर्णन - प्रकरण १६ ते २०
महानुभाव पंथातील थोर संत नारायण व्यास बहाळिये यांनी ऋध्दिपुरवर्णन काव्याची रचना केली.
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स्कंध ११ वा - अध्याय १९ वा
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
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अध्याय ६ वा - श्लोक ३६ ते ४०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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वेदस्तुति - श्लोक ३९
' हरिवरदा ’ ग्रंथातील वेदस्तुती भागाची ही रसाळ प्राकृत भाषेत स्वामी श्रीकृष्णदयार्णव स्वामींनी लिहीलेली टीका आहे.
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अध्याय ८ वा - श्लोक ४० ते ५२
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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अध्याय ८७ वा - श्लोक १ ते ५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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अध्याय ४७ वा - श्लोक ५६ ते ६०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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उत्तर खंड - देहांक उत्पन्ननाम
सत्कार्योत्तेजक सभा धुळें, महाराष्ट्रधर्मग्रन्थमाला
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कथाकल्पतरू - स्तबक ४ - अध्याय २
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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